(कांग्रेस और राहुल कन्फ्यूज- बीजेपी टोटली फ्यूज!).....
अखियों के झरोखों से मैंने देखा जो सांवरे,
तुम दूर नजर आये.. बड़ी दूर नजर आयें ..... मैं आ रहा हूं। अल्फ्रेड द किंग बनकर लौट रहा हूं। मैं अल्फ्रेड गांधी ! उर्फ राहुल गांधी.... जीत का इतिहास लिखने के लिए ग़ायब होना ज़रूरी था । बाबा अज्ञातवास में पक्के राजनीतिक ज्ञान ले रहे थे..जोक्स कई है राजनीति के बाजार मे..आखिर गुरु कौन..थाईलैंड पिछले दो साल से राजनैतिक उठा पटक से खुद ही गुजर रहा है तो वहां कौन गुरु मिला..बाबा की रैली जहां जहां हुई वहीं का हाल तो सबको पता है..फिर भी रामलीला में जो पैंतरा दिखाया बाबा ने , मोदी जी भी रियेक्ट कर गये..अगर यही रवैया रहा तो क्या बाकी कांग्रेसी भी बैंकाक जाने की तैयारी करते नजर आएंगे..फिर क्या होगा..क्या सिखेंगे..आप खुद चाल देखकर तय करें..फिलहाल बाबा फ्रेश नजर आएं.अच्छा लगा..अब असर गुऱु ज्ञान का है किसी और का..इंतजार करें...या क्या ज्ञान लेकर आएंगे..फिलहाल बाबा वैसे तो जीतकर भी लोग ग़ायब हो जाते हैं पर मैं तो सत्ता के लिए गायब था। ये बात और है कि ग़ायब होना भी सत्य है सत्ता का। अब तक मैं यूपीए के चश्में से राजनीति को देख रहा था। पर ‘अब तक 59’ के परिणाम से कुछ नया लेकर लौट रहा हूं.. जहां बुद्ध का एकांतवास, पहाड़ों का ज्ञान और सियासत का एहतिराम तक भी शामिल है। अब देखते है आगे क्या होता है, इतनी कश्मकश के बाद तो कोई ये ना कहे .... PAPPU CAN’T DANCE SALA। अब ये तो वक्त ही इस बात की तस्दीक होगी कि कौन अल्फ्रेड बनकर लौटता है ...राहुल बाबा और कांग्रेस पार्टी जनता के लिए या फिर जनता और पार्टी राहुल बाबा के लिए अल्फ्रेड बनकर लौटते हैं, इस बार तो सबने देखा अब अगली बार देखते है...
तुम दूर नजर आये.. बड़ी दूर नजर आयें ..... मैं आ रहा हूं। अल्फ्रेड द किंग बनकर लौट रहा हूं। मैं अल्फ्रेड गांधी ! उर्फ राहुल गांधी.... जीत का इतिहास लिखने के लिए ग़ायब होना ज़रूरी था । बाबा अज्ञातवास में पक्के राजनीतिक ज्ञान ले रहे थे..जोक्स कई है राजनीति के बाजार मे..आखिर गुरु कौन..थाईलैंड पिछले दो साल से राजनैतिक उठा पटक से खुद ही गुजर रहा है तो वहां कौन गुरु मिला..बाबा की रैली जहां जहां हुई वहीं का हाल तो सबको पता है..फिर भी रामलीला में जो पैंतरा दिखाया बाबा ने , मोदी जी भी रियेक्ट कर गये..अगर यही रवैया रहा तो क्या बाकी कांग्रेसी भी बैंकाक जाने की तैयारी करते नजर आएंगे..फिर क्या होगा..क्या सिखेंगे..आप खुद चाल देखकर तय करें..फिलहाल बाबा फ्रेश नजर आएं.अच्छा लगा..अब असर गुऱु ज्ञान का है किसी और का..इंतजार करें...या क्या ज्ञान लेकर आएंगे..फिलहाल बाबा वैसे तो जीतकर भी लोग ग़ायब हो जाते हैं पर मैं तो सत्ता के लिए गायब था। ये बात और है कि ग़ायब होना भी सत्य है सत्ता का। अब तक मैं यूपीए के चश्में से राजनीति को देख रहा था। पर ‘अब तक 59’ के परिणाम से कुछ नया लेकर लौट रहा हूं.. जहां बुद्ध का एकांतवास, पहाड़ों का ज्ञान और सियासत का एहतिराम तक भी शामिल है। अब देखते है आगे क्या होता है, इतनी कश्मकश के बाद तो कोई ये ना कहे .... PAPPU CAN’T DANCE SALA। अब ये तो वक्त ही इस बात की तस्दीक होगी कि कौन अल्फ्रेड बनकर लौटता है ...राहुल बाबा और कांग्रेस पार्टी जनता के लिए या फिर जनता और पार्टी राहुल बाबा के लिए अल्फ्रेड बनकर लौटते हैं, इस बार तो सबने देखा अब अगली बार देखते है...